Thursday, July 22, 2010

प्यारे कृष्ण कन्हैया

When I got this chance to meet Sunil Jogi during his progam at my college, this poem was what we discussed. Also I remember this is one of the initial poems(if not First)I heard during one of his telecasted program..


प्यारे कृष्ण कन्हैया

कलयुग में अब ना आना रे प्यारे कृष्ण कन्हैया
तुम बलदाऊ के भाई यहाँ हैं दाउद के भैया।।

दूध दही की जगह पेप्सी, लिम्का कोकाकोला
चक्र सुदर्शन छोड़ के हाथों में लेना हथगोला
काली नाग नचैया। कलयुग में अब. . .।।

गोबर को धन कहने वाले गोबर्धन क्या जानें
रास रचाते पुलिस पकड़ कर ले जाएगी थाने
लेन देन करके फिर छुड़वाएगी जसुमति मैया।
कलयुग में अब. . .।।

नंद बाबा के पास गाय की जगह मिलेंगे कुत्ते
औ कदंब की डार पे होंगे मधुमक्खी के छत्ते
यमुना तट पर बसी झुग्गियों में करना ता थैया।
कलयुग में अब. . .।।

जीन्स और टीशर्ट डालकर डिस्को जाना होगा
वृंदावन को छोड़ क्लबों में रास रचाना होगा
प्यानो पर धुन रटनी होगी मुरली मधुर बजैया।
कलयुग में अब. . .।।

देवकी और वसुदेव बंद होंगे तिहाड़ के अंदर
जेड श्रेणी की लिए सुरक्षा होंगे कंस सिकंदर
तुम्हें उग्रवादी कह करके फसवा देंगे भैया
कलयुग में अब. . .।।

विश्व सुंदरी बनकर फ़िल्में करेंगी राधा रानी
और गोपियाँ हो जाएँगी गोविंदा दीवानी
छोड़के गोकुल औ' मथुरा बनना होगा बंबइया।
कलयुग में अब. . .।।

साड़ी नहीं द्रौपदी की अब जीन्स बढ़ानी होगी
अर्जुन का रथ नहीं मारुति कार चलानी होगी
ईलू-ईलू गाना होगा गीता गान गवैया।
कलयुग में अब. . .।।

आना ही है तो आ जाओ बाद में मत पछताना
कंप्यूटर पर गेम खेलकर अपना दिल बहलाना
दुर्योधन से गठबंधन कर बनना माल पचइया।
कलयुग में अब. . .।।

यारों! शादी मत करना

Sunil Jogi's third creation on this blog.. read for the first time liked it..


यारों! शादी मत करना

यारों! शादी मत करना, ये है मेरी अर्ज़ी
फिर भी हो जाए तो ऊपर वाले की मर्ज़ी।

लैला ने मजनूँ से शादी नहीं रचाई थी
शीरी भी फरहाद की दुल्हन कब बन पाई थी
सोहनी को महिवाल अगर मिल जाता, तो क्या होता
कुछ न होता बस परिवार नियोजन वाला रोता
होते बच्चे, सिल-सिल कच्छे, बन जाता वो दर्ज़ी।

सक्सेना जी घर में झाड़ू रोज़ लगाते हैं
वर्मा जी भी सुबह-सुबह बच्चे नहलाते हैं
गुप्ता जी हर शाम ढले मुर्गासन करते हैं
कर्नल हों या जनरल सब पत्नी से डरते हैं
पत्नी के आगे न चलती, मंत्री की मनमर्ज़ी।

बड़े-बड़े अफ़सर पत्नी के पाँव दबाते हैं
गूंगे भी बेडरूम में ईलू-ईलू गाते हैं
बहरे भी सुनते हैं जब पत्नी गुर्राती है
अंधे को दिखता है जब बेलन दिखलाती है
पत्नी कह दे तो लंगड़ा भी, दौड़े इधर-उधर जी।

पत्नी के आगे पी.एम., सी.एम. बन जाता है
पत्नी के आगे सी एम, डी.एम. बन जाता है
पत्नी के आगे डी. एम. चपरासी होता है
पत्नी पीड़ित पहलवान बच्चों सा रोता है
पत्नी जब चाहे फुड़वा दे, पुलिसमैन का सर जी।

पति होकर भी लालू जी, राबड़ी से नीचे हैं
पति होकर भी कौशल जी, सुषमा के पीछे है
मायावती कुँवारी होकर ही, सी.एम. बन पाई
क्वारी ममता, जयललिता के जलवे देखो भाई
क्वारे अटल बिहारी में, बाकी खूब एनर्जी।

पत्नी अपनी पर आए तो, सब कर सकती है
कवि की सब कविताएं, चूल्हे में धर सकती है
पत्नी चाहे तो पति का, जीना दूभर हो जाए
तोड़ दे करवाचौथ तो पति, अगले दिन ही मर जाए
पत्नी चाहे तो खुदवा दे, घर के बीच क़बर जी।

शादी वो लड्डू है जिसको, खाकर जी मिचलाए
जो न खाए उसको, रातों को, निंदिया न आए
शादी होते ही दोपाया, चोपाया होता है
ढेंचू-ढेंचू करके बोझ, गृहस्थी का ढोता है
सब्ज़ी मंडी में कहता है, कैसे दिए मटर जी।

Tuesday, July 13, 2010

Haath uthe hain magar lab pe duaa koii nahiin

Faraz has got it for all states of mind :)


haath uThe hai.n magar lab pe duaa ko_ii nahii.n
kii ibaadat bhii vo jis kii jazaa ko_ii nahii.n

[duaa = prayer; jazaa = reward]

ye bhii vaqt aanaa thaa ab to gosh har aavaaz hai
aur mere barbaad-e-dil me.n sadaa ko_ii nahii.n

aa ke ab tasliim kar lein tuu nahiin to main sahii
kaun maanegaa ke ham mein bevafaa koii nahiin


vaqt ne vo Khaak u.Daa_ii hai ke dil ke dasht se
qaafile guzare hai.n phir bhii naqsh-e-paa ko_ii nahii.n

[dasht = desert/wildnerness; qaafile = caravans]
[naqsh-e-paa = footprints]

Khud ko yuu.N mahasuur kar baiThaa huu.N apanii zaat me.n
manzile.n chaaro.n taraf hai raastaa ko_ii nahii.n


[mahasuur = surrounded; zaat = self/one's personality]

kaise raasto.n se chale aur kis jagah pahu.Nche 'Faraz'
yaa hujuum-e-dostaa.N thaa saath yaa ko_ii nahii.n

[hujuum = crowd]

Friday, July 9, 2010

ओ री दुनिया

Movie Gulal has some really good improvised poems.. Here is one from the same..


ओ री दुनिया, ओ री दुनिया…

ऐ ओ री दुनिया….



सुरमई आँखों के प्यालों की दुनिया ओ दुनिया,

सुरमई आँखों के प्यालों की दुनिया ओ दुनिया,

सतरंगी रंगों गुलालों की दुनिया ओ दुनिया,

सतरंगी रंगों गुलालों की दुनिया ओ दुनिया,

अलसाई सेजों के फूलों की दुनिया ओ दुनिया रे,

अंगडाई तोडे कबूतर की दुनिया ओ दुनिया रे,

ऐ करवट ले सोयी हकीकत की दुनिया ओ दुनिया,

दीवानी होती तबियत की दुनिया ओ दुनिया,

ख्वाहिश में लिपटी ज़रुरत की दुनिया ओ दुनिया रे,

ऐ इंसान के सपनों की नीयत की दुनिया ओ दुनिया रे,



ओ री दुनिया, ओ री दुनिया,

ओ री दुनिया, ओ री दुनिया,

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है,

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है…



ममता की बिखरी कहानी की दुनिया ओ दुनिया,

बहनों की सिसकी जवानी की दुनिया ओ दुनिया,

आदम के हवा से रिश्ते की दुनिया ओ दुनिया रे,

ऐ शायर के फीके लफ्जों की दुनिया ओ दुनिया रे,



ओSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSS



गा़लिब के मोमिन के ख्वाबों की दुनिया,

मजाज़ों के उन इन्कलाबों की दुनिया,

गा़लिब के मोमिन के ख्वाबों की दुनिया,

मजाज़ों के उन इन्कलाबों की दुनिया,

फैज़े, फिराकों, साहिर व मखदूम,

मीर, किज़ौक, किताबों की दुनिया,

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है,

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है…



पल छिन में बातें चली जाती हैं हैं,

पल छिन में बातें चली जाती हैं हैं,

रह जाता है जो सवेरा वो ढूंढें,

जलते मकान में बसेरा वो ढूंढें,

जैसी बची है वैसी की वैसी बचा लो ये दुनिया,

अपना समझ के अपनों के जैसी उठा लो ये दुनिया,

छिट पुट सी बातों में जलने लगेगी संभालो ये दुनिया,

कट कुट के रातों में पलने लगेगी संभालो ये दुनिया,

ओ री दुनिया, ओ री दुनिया,



वो कहें हैं की दुनिया ये इतनी नहीं है,

सितारों से आगे जहां और भी हैं,

ये हम ही नहीं हैं वहाँ और भी हैं,

हमारी हर एक बात होती वहीँ हैं,

हमें ऐतराज़ नहीं हैं कहीं भी,

वो आलिम हैं फ़ाज़िल हैं होंगे सही ही,

मगर फलसफा ये बिगड़ जाता है जो वो कहते हैं,

आलिम ये कहता वहां इश्वर है,

फ़ाज़िल ये कहता वहाँ अल्लाह है,

काबिल यह कहता वहाँ ईसा है,

मंजिल ये कहती तब इंसान से तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनिया,

ये बुझते हुए चाँद बासी चरागों, तुम्हारे ये काले इरादों की दुनिया,



हे ओSSSS री दुनिया, ओSSSS री दुनिया, ओ री दुनियाSSSSSS…

Monday, July 5, 2010

Hazaaron Khvaahishen aisii ki har Khvaaish pe dam nikale

One of the most popular gazals by Mirza sahaab. Some how was not the part of my blog yet.. Adding it .. :)

Heard it after a decent gap.. Nice to know the meaning behind and especially nice to relate it to myself :


Hazaaro.n Khvaahishe.n aisii ki har Khvaaish pe dam nikale
bahut nikale mere armaa.N lekin phir bhii kam nikale


Dare kyuu.N meraa qaatil kyaa rahegaa usakii gardan par
vo Khuu.N jo chashm-e-tar se umr bhar yuu.N dam-ba-dam nikale


[chashm=eye; tar=wet; dam_ba_dam=continously]


nikalanaa Khuld se aadam kaa sunate aaye hai.n lekin
bahut be-aabaruu hokar tere kuuche se ham nikale


[Khuld=Paradise; be-aabaruu=disgrace; kuuchaa=street]


bharam khul jaaye zaalim tere qaamat kii daraazii kaa
agar is turraa-e-purapech-o-Kham kaa pech-o-Kham nikale


[qaamat=stature; daraazii=length/delay; turra=ornamental tassel worn in the turban]
[pech-o-Kham=curls in the hair]


magar likhavaaye koii usako Khat to hamase likhavaaye
huii subah aur ghar se kaan par rakkhar qalam nikale



huii is daur me.n ma.nsuub mujhase baadaa-ashaamii
phir aayaa vo zamaanaa jo jahaa.N se jaam-e-jam nikale


[ma.nsuub=association, baada_aashaamee=havign to do with drinks]


huii jinase tavaqqo Khastagii kii daad paane kii
vo hamase bhii ziyaadaa Khastaa-e-teG-e-sitam nikale



[tavaqqo=expectation; Khastagii=injury, daad=justice]
[Khasta=broken/sick/injured, teG=sword, sitam=cruelity ]


muhabbat me.n nahii.n hai farq jiine aur marane kaa
usii ko dekh kar jiite hai.n jis kaafir pe dam nikale



zara kar jor siine par ki tiir-e-pursitam nikale
jo vo nikle to dil nikale jo dil nikale to dam nikale


Khudaa ke vaaste pardaa na kaabe se uThaa zaalim
Kahii.n aisaa na ho yaa.N bhii vahii kaafir sanam nikale


Kahaa.N maiKhaane ka daravaazaa 'Ghalib' aur kahaa.N vaaiz
par itanaa jaanate hai.n kal vo jaataa thaa ke ham nikale


[vaaiz=preacher]