चौबीस घंटे लगा हुआ दरबार हमारी दिल्ली में
जो कुर्सी पर उसकी जय-जयकार हमारी दिल्ली में
हर छोटा झंडा हो जाता बड़ा हमारी दिल्ली में
नहीं फूटता है पापों का घड़ा हमारी दिल्ली में
पहले था शेषन का हौव्वा खड़ा हमारी दिल्ली में
दरभंगा से लड़ा इलेक्शन पड़ा हमारी दिल्ली में
चोरी सीनाज़ोरी का व्यापार हमारी दिल्ली में
मज़ा लूटते एमप़ी. पी. एम. यार हमारी दिल्ली में
चंद्रास्वामी जैसे भी अवतार हमारी दिल्ली में
जो कुर्सी पर उसकी जय-जयकार हमारी दिल्ली में
चलती फिरती लाशों की दुर्गंध हमारी दिल्ली में
आँसू तक पर लगा हुआ प्रतिबंध हमारी दिल्ली में
कहने को तो मिलते हैं आनंद हमारी दिल्ली में
खून चूसते स्वच्छ धवल मकरंद हमारी दिल्ली में
कथनी और करनी में अंतर्द्वंद्व हमारी दिल्ली में
जनता की खुशियों की मुट्ठी बंद हमारी दिल्ली में
लोकतंत्र की हत्या का व्यापार हमारी दिल्ली में
जो कुर्सी पर उसकी जय-जयकार हमारी दिल्ली में
माया से गांधी को जो गाली दिलवाते दिल्ली में
राजघाट पर जाकर वो ही फूल चढ़ाते दिल्ली में
रैली वाले लाठी, डंडा गोली खाते दिल्ली में
थैली वाले थैली भरकर घर ले जाते दिल्ली में
बड़े ज़ोर से जन गण मन अधिनायक गाते दिल्ली में
जनता के अरमान शौक से बेचे जाते दिल्ली में
हर दल दलने को बैठा तैयार हमारी दिल्ली में
जो कुर्सी पर उसकी जय-जयकार हमारी दिल्ली में
लालकिले पर आज़ादी की लिखी कहानी दिल्ली में
इक राजा ने आग के ऊपर चादर तानी दिल्ली में
पानीदार राजधानी का उतरा पानी दिल्ली में
नहीं मिलेगी मीरा जैसी प्रेम दीवानी दिल्ली में
मुखपृष्ठों पर छाई रहती फूलन रानी दिल्ली में
कदम-कदम पर मिल जाते हैं जेठमलानी दिल्ली में
सूटकेस आता है बारंबार हमारी दिल्ली में
जो कुर्सी पर उसकी जय-जयकार हमारी दिल्ली में
हम सब इतने भोले अपने स्वप्न संजोते दिल्ली में
फूल बिछाए जिनकी ख़ातिर काँटे बोते दिल्ली में
गाँव में जो भी पाया, वो आकर खोया दिल्ली में
डिग्री लेकर बहुत दिनों तक भूखा रोया दिल्ली में
तन टूटा, मन के सारे अरमान जल गए दिल्ली में
संसद में बेठे बगुलों से लोग छल गए दिल्ली में
फन फैलाए खड़े हुए फनकार हमारी दिल्ली में
जो कुर्सी पर उसकी जय-जयकार हमारी दिल्ली में
2 comments:
mp3 chahiye mushkil hai apna mel priye ye pyar -sunil jogi mp3 ka kaise milega
Will try n search. but I remember youtube pe poem hai . download from there :)
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